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Aniruddhanbapuchegunsnkirtn

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महादुर्गा विजयते

महादुर्गा विजयते :-

गत कुछ दिनों में ‘माँ दुर्गा’ का जे.एन.यु. में जो अपमान किया गया, उसकी चर्चा प्रसारमाध्यमों में हो रही थी। कइयों ने उसका तीव्र शब्दों में निषेध किया। लेकिन ‘व्यक्तिस्वतंत्रता’ के नाम पर इस घटना का समर्थन करनेवालें, ‘अलग भी मतप्रवाह हो सकता है’ इस आशय की मूर्खताभरी टिप्पणी करते हुए दिखायी दे रहे हैं।
पवित्रता के विरोध में रहनेवाली हर एक बात ग़लत ही होती है। महिषासुर का वध करनेवाली महिषासुरमर्दिनी माँ जगदंबा दुर्गा के नाम से नवरात्रि-उत्सव, आसेतुहिमाचल सारे भारतवर्ष में गत हज़ारों वर्षों से पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। ऐसी माँ दुर्गा के विरोध में खड़े रहनेवाले लोग, पवित्रता एवं सत्य के विरोध में ही खड़े हुए हैं। ऐसी बेतुकी बात के लिए कोई भी आधार नहीं है और ना ही इसका किसी भी प्रकार से समर्थन किया जा सकता है।
चाहे कोई भी, कितने भी लोग और किसी भी प्रकार से इसका समर्थन करने की कोशिशें क्यों न करें, मग़र जो ग़लत है, वह तो ग़लत ही है। सूरज को ‘चंद्रमा’ कहने से सूरज का चंद्रमा नहीं हो सकता।
माँ जगदंबा दुर्गा की कृपा से असुरों का एवं आसुरी प्रवृत्तियों का विनाश निश्चित ही है। इसके लिए कभी भी अपवाद (एक्सेप्शन) नहीं था, ना है और ना ही होगा।

हरि ॐ. श्रीराम. अंबज्ञ.

महादुर्गा विजयते
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